Point of sale in TallyPrime

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Point of sale in TallyPrime Point of sale in TallyPrime पोस्ट में हम जानेंगे कि Point of sale (POS) क्या है। Point of sale के advantages क्या हैं, POS invoice को टैली प्राइम में रिकॉर्ड कैसे करते हैं और payment के multiple mode में POS invoice को कैसे रिकॉर्ड करते हैं। Point of sale एक बिलिंग प्रक्रिया है। रिटेल शॉप में use होने वाले अलग अलग POS है जैसे cash register, card reader, bar-code scanner etc. POS invoice को single या multiple payment modes में रिकॉर्ड किया जा सकता है। टैली प्राइम में POS को प्रिन्ट कर सकते हैं। रिपोर्ट में POS के लेनदेन की list देख सकते हैं। टैली प्राइम में configure में POS को activate करना होता है। Point of sale के advantage - Sale को calculate करने में मदद मिलती है। Cash को manage करने में मदद मिलती है। Inventory को manage करने में मदद मिलती है। Bar-code scan करने में मदद मिलती है। Inventory और sales database की query को लचीला और सरल तरीका प्रदान करने में मदद मिलती है। Product movement को track करने में मदद मिलती है। Sale date और time को track करने और...

GST Composition and Regular Scheme in Hindi


GST COMPOSITION SCHEME

1.  RETURN :-                2.  TAX :-                    3. INVOICE
     1.  ONLY ONE                1. FIX RATE               1.  NO NEED
     2.  IN 3 MONTHS           2.  LUM SUM             2.  NO RECORD

फर्म को GST में 2 तरह से रजिस्टर्ड करते हैं :-

1.  Composition 
2.  Regular 

कम्पोजीशन और रेगुलर स्कीम में अंतर :-

1.  Composition  - फर्म की एक साल में sale 1.5 करोड़ से कम है तो फर्म को composition स्कीम में
       रजिस्टर्ड करवा सकते हैं। 
     Regular - फर्म की एक साल में sale 1.5 करोड़ से ज्यादा है तो फर्म को regular में रजिस्टर्ड करवाना
       जरुरी होता है। 

2.  Composition scheme जो नहीं ले सकते हैं वो इस प्रकार हैं :-

      1.  एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच business करने वाले। 
      2.  GST में छूट वाले सामान का business करने वाले। 
      3.  तंबाकू , पान मसाला और आइसक्रीम से संबंधित सामान बनाने वाले। 
      4.  ई कॉमर्स के द्वारा माल बेचने वाले। 
      5.  कुछ समय के लिए किसी जगह पर रुक कर business करने वाले। 
      6.  जो भारत के नागरिक नहीं हैं , पर यहाँ business करते हैं। 

3.  Composition - composition scheme वालो को Quarterly Return भरनी होती है।  Quarterly
       Return में उन्हें हर तिमाही में होने वाले सभी लेनदेन , कमाई , उस पर टैक्स देनदारी, जमा किये गए
       टैक्स की पूरी डिटेल देनी होती है। 
     Regular - regular scheme वालो को monthly / quarterly दोनों return भरनी होती है। 

4.  Composition - composition scheme वालो को अपनी purchase और sale का रिकॉर्ड रखना
       जरुरी नहीं होता है और उनकी detail भी return में नहीं देनी होती है। 
      Regular - regular scheme वालो को अपनी sale की detail देनी होती है। 

5.   Composition - composition scheme वालो को return के साथ quarterly sale का एक साथ टैक्स
        जमा करवाना होता है। 
      Regular - regular scheme वालो को हर महीने return के साथ टैक्स जमा करवाना होता है। 

6.    Composition - composition scheme वालो की टैक्स रेट fix होती है :-

           1.  माल या सेवाओं का business करने वालो को quarterly sale का 1 % GST देना होता है। 
           2.  वस्तुओं का निर्माण करने वालो को quarterly sale का 2 % GST देना होता है। 
           3.  रेस्टोरेंट वालो को quarterly sale का 5 % GST देना होता है। 
           4.  रेस्टोरेंट के अलावा किसी प्रकार की सेवा / कारोबार वालो को quarterly sale का 6 % GST देना
                होता है। 
        Regular  - regular scheme वालो की टैक्स रेट fix नहीं होती है। 

7.     Composition - composition scheme वालों का जो बिल बनता है उसको Bill of Supply कहते हैं। 
         Regular - regular scheme वालों का जो बिल बनता है उसको Tax Invoice कहते हैं। 

8.     Composition - composition scheme वालों के द्वारा Tax Invoice नहीं मिलने के कारण regular
          scheme वाला अगर उनसे purchase करता है तो उसको ITC (input tax credit) नहीं मिलता है। 
        Regular - regular scheme वालो के द्वारा Tax Invoice मिलने के कारण ITC (input tax credit)
          मिलता है।

GST Composition Scheme and Regular Scheme in Hindi post में हमने GST Composition Scheme के बारे में जाना और GST Composition & Regular Scheme में difference देखे।

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